अकेला आदमी , यूँ ही कही बंद
तो कभी निर्धारित असीमित दूरियों पर
अकेला घूमता है
अकेला आदमी , एक साथ कई यात्राये करता है
विचारो के वाहन पर सवार
कभी थोड़ी तो कभी एक लम्बे
अंतराल पर बार बार उतरता है
वो सोचता है अपने आस पास की अनंत
उन बातो को जिन्होंने उसे उसके अपने अकेलेपन से दूर रखा .
शैलेन्द्र ऋषि
शुक्रवार, अप्रैल 16, 2010
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sir it was simply fantastic......keep on writing
जवाब देंहटाएंRegards....
Your True Fan
Ram Awtar Yadav